Sunday, February 22, 2015

बीएड में एडमिशन पाना होगा मुश्किल
 नेशनल काउंसिल फार टीचर एजूकेशन (एनसीटीई) की नई नियमावली से यूपी सहित देश के पुराने बीएड कॉलेजों की मान्यता और सीटों की संख्या कम होने का संकट खड़ा हो गया है। 

इसकी चपेट में छत्रपति शाहूजी महाराज यूनिवर्सिटी से संबद्ध 150 कॉलेज भी आएंगे, जिनका कि दायरा यूपी के 15 जिलों तक फैला है। 

नई व्यवस्था शैक्षिक सत्र 2015-16 से ही लागू होगी। इसके तहत एफडीआर जमा करके शिक्षकों को नियुक्ति देनी है। कॉलेज का इंफ्रास्ट्रक्चर भी बढ़ाना है।

नए कॉलेजों की मान्यता, कोर्स और उसके मार्क्स निर्धारण के बाद एनसीटीई ने पुराने बीएड कॉलेजों पर शिकंजा कस दिया है।
रीजनल डायरेक्टर डा. आईके मंसूरी ने नोटिस जारी करके कहा है कि 31 अक्तूबर तक पुराने कॉलेजों और उनकी कुल सीटों के हिसाब फिक्स डिपॉजिट रिसिप्ट (एफडीआर) जमा कराई जाए। 

अब प्रति यूनिट यानी 50 सीटों की मान्यता पर 12 लाख रुपये का एफडीआर जमा होना है। जिस कॉलेज के पास बीएड की 400 सीटें हैं। 

उनको 96 लाख रुपये का एफडीआर जमा करना पड़ेगा। ऐसा नहीं हुआ तो कॉलेज, सीटों की मान्यता अपने आप समाप्त हो जाएगी। 

इस श्रेणी के तमाम कॉलेज कानपुर नगर में ही हैं। यही नहीं एफडीआर के साथ ही प्रिंसिपल सहित 16 शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया भी 31 अक्तूबर 2015 से पहले करनी है। 
यदि कॉलेज के पास इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं है तो उसका निर्माण कराना है। इससे पुराने बीएड कॉलेज संचालक चिंतित हैं। 

उनका कहना है कि पिछले तीन सालों से बीएड की सीटें नहीं भर पा रही हैं। अब एनसीटीई ने एफडीआर जमा करने की अनिवार्य शर्त लागू कर दी है। 

ऐसी स्थिति में तमाम कॉलेजों के बंद होने की नौबत आ गई है। उत्तर प्रदेश स्व वित्तपोषित महाविद्यालय एसोसिएशन के अध्यक्ष विनय त्रिवेदी ने बताया कि यूपी में करीब 1200 बीएड कॉलेज हैं, जहां कि 1.31 लाख से ज्यादा सीटें हैं। 

एनसीटीई की नई नियमावली से काम हुआ तो 60 फीसदी सीटें कम हो जाएंगी। क्योंकि एफडीआर जमा, शिक्षकों की नियुक्ति और इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ाने की स्थिति में ही सभी सीटों पर एडमिशन की शर्त है।

शर्त का अनुपालन ज्यादातर कॉलेज संचालक नहीं कर सकेंगे। इस संबंध में एनसीटीई के रीजनल डायरेक्टर से राहत देने की मांग की गई है लेकिन अभी तक ठोस आश्वासन नहीं मिला है।


साभार अमरउजाला