सूबे
में अभी और चाहिए 1744 परिषदीय स्कूल
लखनऊ
(ब्यूरो)। प्रदेश में बुनियादी तालीम का एकमात्र सहारा है सर्व शिक्षा अभियान।
इससे मिलने वाले पैसों से जहां शिक्षकों व अधिकारियों को पगार मिलती है वहीं स्कूल
खोलने से लेकर अन्य योजनाओं का संचालन होता है। अभियान के तहत राज्य सरकार को हर
साल केंद्र को प्रस्ताव भेजना होता है। इसी आधार पर वहां से योजनाओं को मंजूरी मिलती
है। नया प्रस्ताव भेजने की तैयारी चल रही है। सर्व शिक्षा अभियान के राज्य
परियोजना निदेशालय ने यह कवायद शुरू कर दी है। जानकारों के अनुसार निदेशालय यूपी
में 1744 परिषदीय स्कूल और खोलना चाहता है।
इनमें 1546 प्राइमरी व 198 उच्च प्राइमरी स्कूल होंगे।
शिक्षा का अधिकार
अधिनियम में 6 से 14 वर्ष तक के बच्चों की शिक्षा अनिवार्य कर दी गई है।
इसके लिए जिलों में जरूरत के आधार पर प्राइमरी व उच्च प्राइमरी स्कूल खोले जाने
हैं। सर्व शिक्षा अभियान के राज्य परियोजना निदेशालय ने पिछले दिनों शासन में हुई
बैठक में बताया कि प्रदेश में मानक के अनुसार अभी 1546 प्राइमरी व 198 उच्च प्राइमरी स्कूलों की जरूरत है। इसी तरह बालकों
के लिए 1768 व बालिकाओं के लिए 1979 शौचालयों की जरूरत है। प्रदेश में 72,717 स्कूल ऐसे हैं जहां अभी तक
चारदीवारी नहीं है। राज्य परियोजना निदेशालय मानव संसाधन विकास मंत्रालय को भेजे
जाने वाले प्रस्ताव में इन मुद्दों को भी शामिल कर रहा है ताकि वहां से बजट मिल
सके।
सर्व शिक्षा अभियान के लिए भेजे जाने
वाले प्रस्ताव में इस बार सारा ध्यान शिक्षा की गुणवत्ता पर है। प्रदेश के सरकारी
स्कूलों में पढ़ाई की स्थिति काफी खराब है। परिषदीय स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों
का ज्ञान अधूरा होता है। अत: शिक्षकों को प्रशिक्षण देकर उन्हें बदलते वक्त के
आधार पर बच्चों को शिक्षा देने की जानकारी दी जाए। इसी नाते प्रस्ताव में अच्छी
शिक्षा के लिए शिक्षकों को प्रशिक्षण देने का कार्यक्रम शामिल किया जा रहा है।
समाचार साभार अमरउजाला