मदरसों से इंटर पास शिक्षकों की छुट्टी
लखनऊ। सूबे के मदरसों में पढ़ाने वाले इंटरमीडिएट शिक्षकों की छुट्टी हो गई है। केंद्र सरकार ने इनका मानदेय पूरी तरह बंद कर दिया है। वहीं, प्रदेश सरकार ने भी हाथ खड़े कर दिए हैं। राज्य सरकार ने सभी मदरसा शिक्षकों का मानदेय बढ़ाया लेकिन इनके लिए शर्त लगा दी। कहा, अगर केंद्र मानदेय देगी तो प्रदेश सरकार भी अपना अंश जोड़कर इन्हें बढ़ा हुआ मानदेय प्रदान कर देगी।
केंद्र सरकार मदरसा आधुनिकीकरण योजना के तहत प्रदेश के कई मदरसों को अनुदान देती है। इसके तहत शिक्षकों को तीन तरह की श्रेणियों में बांटा गया था। इनमें पहली श्रेणी पोस्ट ग्रेजुएट शिक्षक (12,000 रुपये), दूसरी श्रेणी ग्रेजुएट शिक्षक (6,000 रुपये) व तीसरी श्रेणी इंटरमीडिएट शिक्षक (3,000 रुपये) की थी। केंद्र सरकार ने इंटरमीडिएट शिक्षकों को अपनी अर्हता बढ़ाने के लिए चार साल का समय भी दिया। इस दौरान कई शिक्षकों ने अपनी शैक्षिक अर्हता बढ़ाकर स्नातक कर ली, लेकिन जो शैक्षिक अर्हता नहीं बढ़ा पाए उनके लिए संकट खड़ा हो गया है।
मदरसों में आधुनिक विषय पढ़ाने के लिए केंद्र सरकार की ओर से इन शिक्षकों को मानदेय दिया जाता है। लेकिन केंद्र सरकार ने इंटरमीडिएट के शिक्षकों को मानदेय देना पूरी तरह बंद कर दिया है। उनका मानना है कि जब स्नातक व परास्नातक के युवा मौजूद हैं तो इंटरमीडिएट पास शिक्षकों से क्यों पढ़वाया जाए। वहीं,
प्रदेश सरकार ने छह जनवरी को मदरसा आधुनिकीकरण योजना के तहत पढ़ाने वाले शिक्षकों के मानदेय बढ़ाने का जो शासनादेश जारी किया है उसमें भी परास्नातक व स्नातक शिक्षकों का मानदेय क्रमश: 3000 व 2000 रुपये बढ़ाया है। वहीं, इंटरमीडिएट शिक्षकों का मानदेय 1000 रुपये बढ़ाने की बात तो कही है लेकिन यह शर्त भी लगा दी है कि जब केंद्र सरकार से इनका अनुदान आएगा, तभी प्रदेश सरकार भी इन्हें 1000 रुपये बढ़ाकर मानदेय देगी।
यूपी में मदरसों की संख्या
हाईस्कूल व उससे ऊपर- 2,026
प्राइमरी व जूनियर- 6,500
केंद्र सरकार ने इंटरमीडिएट शिक्षकों का मानदेय देना बंद कर दिया है। इसलिए राज्य सरकार भी इन्हें मानदेय नहीं देगी। जिन शिक्षकों ने अपनी शैक्षिक योग्यता बढ़ा ली, उन्हें राहत मिल गई है लेकिन जो रह गए उन्हें अब मानदेय नहीं मिल सकेगा।
-फैजुर्रहमान, निदेशक
अल्पसंख्यक कल्याण एवं वक्फ
साभार अमरउजाला