Tuesday, January 6, 2015

राष्ट्रीय शैक्षणिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद की रिपोर्ट में खुलासा
61 फीसदी स्कूलों में नहीं पढ़ाते पूरा कोर्स



लखनऊ। सरकारी स्कूलों में आधी-अधूरी पढ़ाई से ही शिक्षक बच्चों का भविष्य संवार रहे हैं। बच्चों को किताबों और परीक्षा के दबाव से मुक्ति दिलाकर पढ़ाई रोचक बनाने का काम, सतत मूल्यांकन में भी स्कूलों की कोई खास रुचि नहीं है। 61 प्रतिशत सरकारी स्कूलों में टीचर्स पूरा सिलेबस नहीं पढ़ाते। 60 प्रतिशत सरकारी स्कूलों में बच्चों का सतत मूल्यांकन ही नहीं किया जा रहा है। यह बात सामने आई सरकारी विद्यालयों में शिक्षा का स्तर जांचने के लिए राष्ट्रीय शैक्षणिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) के सर्वे में। यह अध्ययन देश के 28 राज्य व सात केंद्र शासित प्रदेशों के 1000 स्कूलों में किया गया है। उत्तर प्रदेश में बाराबंकी के 43 स्कूलों पर सर्वे किया गया। सर्व शिक्षा अभियान सेल के प्रो. योगेश कुमार अध्यक्षता में हुए सर्वेक्षण के बाद यह रिपोर्ट जारी की गई है।

देश भर में सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर जांचने के लिए इस एनसीईआरटी की ओर से सर्वे कराया गया। रिपोर्ट में सामने आया कि 61 प्रतिशत सरकारी स्कूलों में बच्चों को निर्धारित सिलेबस पूरा नहीं पढ़ाया जाता है। इसका कारण शिक्षकों की कमी, लापरवाही, टीचर्स का दूसरे कामों में लगाया जाना आदि बताया गया है। बच्चों को रोचक ढंग से पढ़ाने, उन पर से पढ़ाई और परीक्षा का दवाब खत्म करने के लिए आरटीई और सर्व शिक्षा अभियान के तहत शुरू लगातार मूल्यांकन में भी स्कूल शामिल नहीं हो रहे हैं। यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि स्कूलों में परीक्षा का बजट नहीं दिया जाता तो शिक्षाधिकारी जवाब में कहते हैं कि स्कूलों में तो सतत मूल्यांकन होते रहते हैं, ऐसे में परीक्षा का खास महत्व नहीं है। अब रिपोर्ट में से शिक्षाधिकारियों की पोल खुलती नजर आ रही है। एनसीईआरटी की रिपोर्ट के अनुसार पूरे वर्ष केवल 40 प्रतिशत सरकारी स्कूल ही बच्चों का लगातार मूल्यांकन करते हैं।
अमर उजाला ब्यूरो