Friday, January 31, 2014
मिड-डे-मील पकाने को चार माह से 'राशन' नहीं
जागरण संवाददाता, वाराणसी : सरकारी प्राइमरी और मिडिल स्कूलों में पिछले चार माह से मिड-डे-मील पकाने के लिए राशन की आपूर्ति ठप पड़ी है। इधर-उधर से जुगाड़ कर स्कूलों में अब तक मिड-डे-मील बनवाने और बंटवाने का जिम्मा संभाल रहे ग्राम प्रधानों ने भी हाथ कर दिए हैं। बीडीओ व सीडीओ को ज्ञापन देकर संबंधित स्कूलों में मिड-डे-मील का वितरण पूरी तरह से ठप करने की बात कह चुके हैं। इसके बावजूद अब तक कोई प्रभावी पहल न होने से प्रधानों ने जिला प्रशासन से तत्काल हस्तक्षेप लगाने की मांग की है।
ग्राम प्रधान संघ के जिलाध्यक्ष संजय मौर्य, शंकरपुर के प्रधान गोपाल, रसूल गढ़ के प्रधान अमरनाथ मौर्य, जयरामपुर के ग्राम प्रधान हौसिला मिश्र का कहना है कि अक्टूबर 2013 से मिड-डे-मील के लिए राशन की आपूर्ति नहीं की जा रही है। इसकी वजह से मिड-डे-मील का वितरण करने का काम अब ठप कर दिया गया है। साथ ही जिला प्रशासन को इस बात से अवगत करा दिया गया।
Wednesday, January 29, 2014
प्राइमरी स्कूलों में नये सत्र में मिलेंगे 25 हजार
शिक्षक
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पवन द्विवेदी/एसएनबी इलाहाबाद। प्रदेश के परिषदीय
विद्यालयों को नये शैक्षिक सत्र जुलाई-अगस्त में 25 हजार नये शिक्षक-शिक्षिकाएं मिलने जा
रहे हैं। यह नये शिक्षक बीटीसी के विभिन्न सत्रों के अन्तिम वर्ष के अभ्यर्थी
हैं। इनमें से अधिकतर अभ्यर्थियों ने शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) पास कर ली
है। बस उनका प्रशिक्षण पूरा होते ही सचिव बेसिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश
इलाहाबाद उनके नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू कर देंगे। यह प्रक्रिया दो माह में
पूरी हो जायेगी। परिषदीय विद्यालयों से प्रतिवर्ष जून माह में 14 से 15 हजार शिक्षक रिटायर होते हैं। बीटीसी
के माध्यम से 15 से 20 हजार शिक्षक और उर्दू भर्ती के तहत
करीब एक हजार शिक्षकों की भर्ती होती है। 72825 शिक्षकों के भर्ती प्रक्रिया अभी लंबित
है। इस भर्ती प्रक्रिया के पूरा होने के बाद से परिषदीय विद्यालयों में शिक्षकों
की कमी काफी हद तक कम हो जायेगी। इन शिक्षकों के भर्ती का मामला अभी सुप्रीम
कोर्ट में लंबित है। सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी उत्तर प्रदेश श्रीमती नीना
श्रीवास्तव ने बताया कि बीटीसी के अलग-अलग सत्र के अन्तिम वर्ष की परीक्षाएं
फरवरी में शुरू होगी जो शीघ्र पूरी हो जायेगी। इनके रिजल्ट अप्रैल माह में आ
जायेंगे। बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव संजय सिन्हा ने बताया कि बीटीसी अन्तिम
वर्ष के रिजल्ट आने के बाद भर्ती प्रक्रिया शुरू हो जाती है। जो दो माह में पूरी
कर ली जायेगी। इन नये शिक्षकों की परिषदीय विद्यालयों में नियुक्ति होने से
प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में शिक्षकों की जो कमी है वह काफी हद तक पूरी हो
जाएगी। मिलेगी राहत अधिकतर अभ्यर्थी हैं टीईटी पास : सचिव दो माह में भर्ती
प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी
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ग्रामीणों ने शिक्षकों को बनाया बंधक
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कमरे का ताला तोड़कर कराया मुक्त
दिलदारनगर, गाजीपुर
(एसएनबी)। स्थानीय सुहवल थाना क्षेत्र के टौगां गांव के प्राथमिक विद्यालय पर
पहुंचे एबीएसए व एबीआरसी सहित अध्यापकों को सोमवार को ग्रामीणों ने कमरे में
बंधक बना लिया। सूचना पर पहुंचे सुहवल पुलिस सहित एसडीएम व बीएसए ने सभी
शिक्षेणत्तर कर्मियों को बंधक से मुक्त कराया। बाद में एबीएसए की तहरीर पर सुहवल
थाने में पांच नामजद सहित अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है।
रेवतीपुर ब्लाक के टौगां प्राथमिक विद्यालय पर बच्चों को ड्रेस व मिड-डे-मील
नहीं मिलने की शिकायत पर रेवतीपुर एबीएसए मनोज शर्मा तथा एबीआरसी सत्यप्रकाश ने
जांच के लिए सोमवार को 11 बजे
विद्यालय पर पहुंचे। उसी समय ग्रामीणों ने दोनों अधिकारियों सहित विद्यालय के
अध्यापकों को विद्यालय के कमरे में बन्द कर बाहर से ताला बन्द कर दिया। इसकी
सूचना अधिकारियों ने उच्चाधिकारियों को दिया। सूचना पर बीएसए गाजीपुर संजीव
कुमार सिंह, उपजिलाधिकारी
कैलाश नाथ सिंह, थानाध्यक्ष
सुहवल प्रवीण कुमार यादव तत्काल मौके पर पहुंचे। अधिकारियों के आते ही ग्रामीण
मौके से फरार हो गये। पुलिस ने कमरे के दरवाजे का ताला तोड़कर बनाये गये बंधकों
को मुक्त कराया गया। एबीएसए मनोज शर्मा के तहरीर पर सुहवल थाने में पांच नामजद
सहित अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया।
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जांच के बाद मिलेगी ड्रेस् वितरण की शेष राशि
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वाराणसी (एसएनबी)। सर्व शिक्षा अभियान के तहत विद्यार्थियों को प्रदान
किये गये ड्रेस की शेष राशि विद्यालयों को जल्द ही प्रदान की जायेगी। विद्यालयों
को यह राशि ड्रेस वितरण संबंधित सभी जानकारियां विभाग को उपलब्ध कराने के बाद
मिलेगी। इसके लिए सभी विद्यालयों से अब तक वितरित किये जा चुके ड्रेसों का
ब्योरा मांगा है। इस सम्बंध में बेसिक शिक्षा विभाग की जिला समन्वयक (ड्रेस
वितरण) प्रतिभा गोस्वामी ने बताया कि विद्यालय प्रबंध समितियों को ड्रेस वितरण
का 75 प्रतिशत
राशि ही भुगतान की गयी थी। शेष 25 प्रतिशत राशि शासन की ओर से आ गयी है
जिसके लिए सभी विद्यालयों को छात्रों की सूची सौंपनी होगी ताकि इस बकाया राशि को
प्रदान किया जा सके। उन्होंने बताया कि विवरण मिलने के बाद जिन विद्यालयों को
छात्रों से अधिक राशि आवंटित हुई थी उसका समायोजन किया जायेगा।
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सरकार
ने बढ़ाया मदरसा शिक्षकों का मानदेय
एक
महीने में बन जाएगी नई नियमावली,
मदरसों
के प्रबंधकों व प्रधानाचार्यों के सम्मेलन में बोले सीएम
लखनऊ।
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मदरसा शिक्षकों को सौगात दी है। सरकार ने इन्हें मिलने
वाले मानदेय में बढ़ोतरी का ऐलान कर दिया है। इंटर पास मदरसा शिक्षकों को एक हजार, स्नातक शिक्षक को दो
हजार व परास्नातक के साथ ही बीएड वाले शिक्षकों को तीन हजार रुपये अधिक मानदेय
दिया जाएगा। वहीं, एक
महीने के भीतर नई मदरसा नियमावली भी जारी कर दी जाएगी।
मुख्यमंत्री
मंगलवार को अनुदानित मदरसों के प्रबंधक व प्रधानाचार्यों के सम्मेलन में मुख्य
अतिथि के रूप में बोल रहे थे। इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित कार्यक्रम में
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि शासकीय सेवाओं में जहां स्नातक व परास्नातक की
योग्यता है, वहां
पर कामिल व फाजिल योग्यता वाले युवाओं पर भी विचार किया जाएगा।
मुख्यमंत्री
ने कहा कि मदरसा शिक्षकों को भी समय पर मानदेय मिले इसके लिए बेसिक व माध्यमिक
शिक्षा में लागू वेतन वितरण अधिनियम की तर्ज पर मदरसा शिक्षकों को भी मानदेय दिया
जाएगा। अनुदानित मदरसों से अवकाश प्राप्त शिक्षकों को अगले वर्ष से ट्रेजरी से
पेंशन देने की तैयारी चल रही है। उन्होंने कहा, अनुदानित मदरसों में
मृतक आश्रित कोटे में नौकरी दी जाएगी।
मदरसा
शिक्षक भी होंगे पुरस्कृत
मदरसा
शिक्षकों को भी शिक्षक दिवस के दिन अन्य शिक्षकों की तरह पुरस्कृत किया जाएगा। यह
घोषणा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने की। शिक्षक दिवस के दिन सभी तरह के शिक्षक
पुरस्कृत किए जाते हैं। लेकिन अभी तक मदरसा शिक्षकों को पुरस्कृत करने की कोई
योजना नहीं थी।
`मानदेय
:-
योग्यता पहले अब
इंटर
3000 4000
स्नातक 6000
8000
पीजी
व बीएड 12000 15000
शिक्षा मित्र कहलाएंगे अब गुरुजन
रामगोविंद ने महारैली में दी समायोजन की जानकारी
लखनऊ (ब्यूरो)। बेसिक शिक्षा मंत्री रामगोविंद चौधरी ने शिक्षा मित्रों की महारैली में पहुंचकर उन्हें आश्वासन दिया कि अब वे गुरुजन कहलाएंगे। उन्हें समायोजित करने का फैसला कैबिनेट की बैठक में कर लिया गया है। इसके लिए 10 दिन के अंदर नियमावली बनकर तैयार हो जाएगी। उन्होंने यह जानकारी देने के साथ ही चुनावी लाभ लेने के लिए शिक्षा मित्रों से मुलायम सिंह यादव को प्रधानमंत्री बनाने में समर्थन का वादा भी लिया। वह मंगलवार को ज्योतिबा फुले मैदान पर शिक्षा मित्रों की महारैली को संबोधित कर रहे थे।
बेसिक शिक्षा मंत्री ने कहा कि शिक्षा मित्रों को शिक्षक बनाने की तैयारी सपा सरकार ने आते ही कर ली थी, लेकिन कुछ अधिकारियों ने इसमें अड़ंगा डालने का भी काम किया। उन्होंने कहा, 1.70 लाख शिक्षा मित्रों को उसी विद्यालय में समायोजित किया जाएगा जहां पर वे तैनात हैं। ट्रांसफर पोस्टिंग के लिए किसी भी तरह की घूस देने की जरूरत नहीं पड़ेगी। उनकी सभी समस्याएं तीन साल के अंदर दूर कर दी जाएंगी। उनको कुछ लोग बरगलाएंगे लेकिन उनकी बातों में आने की जरूरत नहीं। इस अवसर पर उप्र प्राथमिक शिक्षा मित्र संघ के प्रदेश अध्यक्ष गाजी इमाम आला, प्रदेश मंत्री कौशल कुमार सिंह व अनिल यादव ने बेसिक शिक्षा मंत्री को बधाई दी।
बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री योगेश प्रताप सिंह ने दूसरे संगठनों पर जमकर टिप्पणी की। कहा, शिक्षा मित्रों के नाम पर कुछ लोगों ने दुकानें बना रखी हैं। जब उन्हें पता चला कि कैबिनेट में प्रस्ताव आने वाला है तो वे धरने पर बैठ गए। उन लोगों का काम केवल बरगलाना है। माध्यमिक शिक्षा राज्य मंत्री विजय बहादुर पाल ने कहा कि सपा सरकार शिक्षकों की हितैषी है।
शासनादेश के बाद ही अनशन तोड़ेंगे शिक्षा मित्र
लखनऊ( ब्यूरो)। बिना टीईटी के समायोजन की मांग को लेकर शिक्षा मित्रों ने मंगलवार को भी प्रदेश भर में जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन किया। राजधानी में अनशन पर बैठे शिक्षा मित्रों ने दूसरे गुट की रैली को सरकारी रैली करार देते हुए आरोप लगाया कि हमारा आंदोलन तोड़ने की साजिश की गई है लेकिन शिक्षा मित्र शासनादेश जारी कराने के बाद ही अपना अनशन तोड़ेंगे। उन्होंने सरकार की घोषणा का स्वागत भी किया।
लक्ष्मण मेला स्थल पर आदर्श शिक्षा मित्र वेलफेयर एसोसिएशन के तत्वावधान में क्रमिक अनशन पर डटे शिक्षा मित्रों ने प्रदर्शन जारी रखा। एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष जितेंद्र शाही ने कहा, शिक्षा मित्र कैबिनेट के फैसले का पूरा सम्मान करते हैं लेकिन हम शासनादेश जारी होने के बाद ही अपना अनशन खत्म करेंगे। कैबिनेट ने समायोजन के फैसले में शिक्षा मित्र को शिक्षक बनाने का फैसला नहीं किया है, बल्कि शिक्षा मित्रों के लिए अलग सेवा नियमावली बनाने का निर्णय किया है।
साभार अमरउजाला
कर्मचारी लंबे अरसे से कर थे एचआरए बढ़ाने की मांग
लखनऊ (ब्यूरो)। प्रदेश के कर्मचारी काफी समय से मकान किराया भत्ता बढ़ाने की मांग कर रहे थे। वित्त विभाग ने इसके लिए मकान किराया भत्ते की अनुमन्यता श्रेणी में जिलों की श्रेणी अपग्रेड करने का रास्ता निकाला।
झांसी को बी-2 श्रेणी में शामिल करने से वहां पूरे जिले में कार्यरत कर्मचारियों का भत्ता बढ़ जाएगा। सभी कर्मचारी अब बी-2 श्रेणी का एचआरए पाएंगे। इसके अलावा भत्ते के अवर्गीकृत दायरे में आने वाले 15 जिला मुख्यालय के कर्मचारियों को ‘सी’ श्रेणी में वर्गीकृत करने से इन कर्मचारियों का भत्ता बढ़ने का रास्ता बन गया। इन जिला मुख्यालयों के आठ किमी के दायरे में स्थित कार्यालयों में कार्यरत कर्मचारियों को अब सी श्रेणी का भत्ता मिलेगा।
अवर्गीकृत से ‘सी’ श्रेणी में शामिल हुए जिले
चंदौली, कानपुर देहात, बागपत, कौशांबी, महराजगंज, अमेठी, कुशीनगर, सोनभद्र, संतकबीरनगर, चित्रकूट, सिद्धार्थनगर, हमीरपुर, श्रावस्ती, अंबेडकरनगर व भदोही।
साभार अमरउजाला
Tuesday, January 28, 2014
1.70 लाख शिक्षामित्र बनेंगे शिक्षक
यूपी सरकार ने लोकसभा चुनाव से पहले
बंपर सरकार नौकरी का पिटारा खोलने का पूरा मन बना लिया है।
मुस्लिमों के वोट हासिल करने की कवायद पूरी करने के बाद समाजवादी पार्टी सरकार ने शिक्षा मित्रों को खुशखबरी देने की योजना बना ली है।
यही वजह है कि मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में 1 लाख 70 हजार शिक्षा मित्रों के लिए बड़ा फैसला लिया गया है।
अखिलेश यादव की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में फैसला लिया गया है कि सूबे के परिषदीय विद्यालयों में काम करने वाले सभी शिक्षा मित्रों का समायोजन जल्द से जल्द कर दिया जाएगा।
प्रदेश सरकार ने इन सभी शिक्षा मित्रों के समायोजन के लिए नई नियमावली भी बनाने का आदेश दिया है।
इसे एक हफ्ते में तैयार कर लिया जाएगा और उसके बाद आगे की प्रक्रिया शुरू होगी।
अटकलें लगाई जा रही हैं कि अखिलेश सरकार ने इस फैसले को चुनावी पासे के रूप में इस्तेमाल करने का मन बनाया है, इसलिए शायद इसका शासनादेश भी आचार संहिता लागू होने से पहले आ सकता है।
मुस्लिमों के वोट हासिल करने की कवायद पूरी करने के बाद समाजवादी पार्टी सरकार ने शिक्षा मित्रों को खुशखबरी देने की योजना बना ली है।
यही वजह है कि मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में 1 लाख 70 हजार शिक्षा मित्रों के लिए बड़ा फैसला लिया गया है।
अखिलेश यादव की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में फैसला लिया गया है कि सूबे के परिषदीय विद्यालयों में काम करने वाले सभी शिक्षा मित्रों का समायोजन जल्द से जल्द कर दिया जाएगा।
प्रदेश सरकार ने इन सभी शिक्षा मित्रों के समायोजन के लिए नई नियमावली भी बनाने का आदेश दिया है।
इसे एक हफ्ते में तैयार कर लिया जाएगा और उसके बाद आगे की प्रक्रिया शुरू होगी।
अटकलें लगाई जा रही हैं कि अखिलेश सरकार ने इस फैसले को चुनावी पासे के रूप में इस्तेमाल करने का मन बनाया है, इसलिए शायद इसका शासनादेश भी आचार संहिता लागू होने से पहले आ सकता है।
साभार मंगलवार, 28 जनवरी 2014 अमर उजाला, लखनऊ
प्राथमिक शिक्षा का स्तर निम्न होने के
कारण
देश
के 31 प्रतिशत
स्कूलों में लड़कियों के लिए अलग अलग शौचालय की व्यवस्था नहीं है, जो लड़कियों के स्कूल की पढ़ायी बीच में ही छोड़ने का एक अहम कारण के रूप
में सामने आया है।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, 2012-13 में देश के 69 प्रतिशत स्कूलों में लड़कियों के लिए अलग अलग शौचालय की व्यवस्था है, जो 2009-10 में 59 प्रतिशत रही थी।
इस तरह देश के 31 प्रतिशत स्कूलों में लड़कियों के लिए अलग शौचालय नहीं है। हालांकि, 95 प्रतिशत स्कूलों में पेयजल सुविधा उपलब्ध है। चंडीगढ़, दिल्ली, दमन-दीव, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, लक्षद्वीप, पंजाब, पुडुचेरी में सभी स्कूलों में पेयजल सुविधा उपलब्ध है।
प्राथमिक शिक्षा के स्तर पर कुल नामांकन बढ़कर 13.47 करोड़ और उच्च प्राथमिक स्तर पर 6.49 करोड़ हो गया। प्राथमिक शिक्षा स्तर पर दाखिला लेने वालों में लड़कियों का प्रतिशत 48 और उच्च प्राथमिक स्तर पर 49 प्रतिशत है । देश में प्रारंभिक शिक्षा के स्तर पर स्कूलों (सरकारी और गैर सहायता प्राप्त) की संख्या 11,53,472 है।
मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, 2012-13 में 88 प्रतिशत स्कूलों में स्कूल प्रबंधन समिति का गठन हुआ है जो शिक्षा के अधिकार कानून (आरटीई) का एक अहम मानदंड है। इन समितियों में 75 प्रतिशत सदस्य ऐसे हैं जिनके बच्चों स्कूलों में पढ़ते हैं और इनमें 50 प्रतिशत महिलाएं हैं।
शिक्षा का अधिकार कानून के लागू होने के तीन वर्ष से अधिक गुजरने के बाद भी करीब 20 प्रतिशत सरकारी स्कूलों में पेशेवर शिक्षकों की कमी है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 26 राज्यों ने शिक्षकों की नियुक्ति के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा आयोजित की है।
शिक्षा का अधिकार कानून के तहत यह व्यवस्था बनायी गई है कि केवल उन लोगों की शिक्षकों के रूप में नियुक्ति की जायेगी जो शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) में उत्तीर्ण होते हैं।
शिक्षक पात्रता परीक्षा में बैठने वालों का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है। जून 2011 में बैठने वालों में केवल 7.59 प्रतिशत पास हुए जबकि जनवरी 2012 में 6.43 प्रतिशत और नवंबर 2012 में 0.45 प्रतिशत उत्तीर्ण हुए।
देश भर में सरकार, स्थानीय निकाय एवं सहायता प्राप्त स्कूलों में शिक्षकों के 45 लाख पद हैं। शिक्षा का अधिकार कानून के तहत 2012-13 में सर्व शिक्षा अभियान के तहत 19.82 लाख पद मंजूर किये गए हैं और करीब 13 लाख पद भरे गए।
मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, करीब 81 प्रतिशत सरकारी स्कूलों में पेशेवर दक्षता प्राप्त शिक्षक हैं। आरटीई के तहत राज्यों को स्कूलों में दक्ष एवं पेशेवर शिक्षकों को नियुक्त करने के एक महत्वपूर्ण मापदंड को पूरा करने के लिए पहले तीन वर्ष का समय दिया गया था जिसे दो वर्ष के लिए बढ़ा दिया गया है।
रिपोर्ट में आरटीई के तहत बच्चों के दाखिले, शिक्षकों की उपलब्धता, आधारभूत संरचना जैसे कारकों का मूल्यांकन किया गया। इसमें यह स्पष्ट हुआ है कि प्राथमिक स्तर पर लैंगिक और सामाजिक श्रेणी में अंतर में काफी कमी आई है।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, 2012-13 में देश के 69 प्रतिशत स्कूलों में लड़कियों के लिए अलग अलग शौचालय की व्यवस्था है, जो 2009-10 में 59 प्रतिशत रही थी।
इस तरह देश के 31 प्रतिशत स्कूलों में लड़कियों के लिए अलग शौचालय नहीं है। हालांकि, 95 प्रतिशत स्कूलों में पेयजल सुविधा उपलब्ध है। चंडीगढ़, दिल्ली, दमन-दीव, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, लक्षद्वीप, पंजाब, पुडुचेरी में सभी स्कूलों में पेयजल सुविधा उपलब्ध है।
प्राथमिक शिक्षा के स्तर पर कुल नामांकन बढ़कर 13.47 करोड़ और उच्च प्राथमिक स्तर पर 6.49 करोड़ हो गया। प्राथमिक शिक्षा स्तर पर दाखिला लेने वालों में लड़कियों का प्रतिशत 48 और उच्च प्राथमिक स्तर पर 49 प्रतिशत है । देश में प्रारंभिक शिक्षा के स्तर पर स्कूलों (सरकारी और गैर सहायता प्राप्त) की संख्या 11,53,472 है।
मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, 2012-13 में 88 प्रतिशत स्कूलों में स्कूल प्रबंधन समिति का गठन हुआ है जो शिक्षा के अधिकार कानून (आरटीई) का एक अहम मानदंड है। इन समितियों में 75 प्रतिशत सदस्य ऐसे हैं जिनके बच्चों स्कूलों में पढ़ते हैं और इनमें 50 प्रतिशत महिलाएं हैं।
शिक्षा का अधिकार कानून के लागू होने के तीन वर्ष से अधिक गुजरने के बाद भी करीब 20 प्रतिशत सरकारी स्कूलों में पेशेवर शिक्षकों की कमी है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 26 राज्यों ने शिक्षकों की नियुक्ति के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा आयोजित की है।
शिक्षा का अधिकार कानून के तहत यह व्यवस्था बनायी गई है कि केवल उन लोगों की शिक्षकों के रूप में नियुक्ति की जायेगी जो शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) में उत्तीर्ण होते हैं।
शिक्षक पात्रता परीक्षा में बैठने वालों का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है। जून 2011 में बैठने वालों में केवल 7.59 प्रतिशत पास हुए जबकि जनवरी 2012 में 6.43 प्रतिशत और नवंबर 2012 में 0.45 प्रतिशत उत्तीर्ण हुए।
देश भर में सरकार, स्थानीय निकाय एवं सहायता प्राप्त स्कूलों में शिक्षकों के 45 लाख पद हैं। शिक्षा का अधिकार कानून के तहत 2012-13 में सर्व शिक्षा अभियान के तहत 19.82 लाख पद मंजूर किये गए हैं और करीब 13 लाख पद भरे गए।
मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, करीब 81 प्रतिशत सरकारी स्कूलों में पेशेवर दक्षता प्राप्त शिक्षक हैं। आरटीई के तहत राज्यों को स्कूलों में दक्ष एवं पेशेवर शिक्षकों को नियुक्त करने के एक महत्वपूर्ण मापदंड को पूरा करने के लिए पहले तीन वर्ष का समय दिया गया था जिसे दो वर्ष के लिए बढ़ा दिया गया है।
रिपोर्ट में आरटीई के तहत बच्चों के दाखिले, शिक्षकों की उपलब्धता, आधारभूत संरचना जैसे कारकों का मूल्यांकन किया गया। इसमें यह स्पष्ट हुआ है कि प्राथमिक स्तर पर लैंगिक और सामाजिक श्रेणी में अंतर में काफी कमी आई है।
साभार हिंदुस्तान
दस हजार शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया रुकी
लखनऊ। परिषदीय स्कूलों में 10 हजार शिक्षकों की भर्ती के लिए 29 जनवरी से शुरू होने वाली काउंसलिंग स्थगित कर दी गई है। इस संबंध में सचिव बेसिक शिक्षा परिषद संजय सिन्हा ने सोमवार को आदेश जारी कर दिया है। उन्होंने बेसिक शिक्षा अधिकारियों को भेजे आदेश में कहा है कि परिषदीय स्कूलों में 10 हजार शिक्षकों की भर्ती के लिए 29 जनवरी से काउंसिलंग शुरू करने का निर्देश इस शर्त के साथ दिया गया था कि सुप्रीम कोर्ट से विशेष अनुज्ञा याचिका पर फैसला आने के बाद शुरू की जाएगी। सुप्रीम कोर्ट से विशेष अनुज्ञा याचिका पर निर्णय नहीं हो पाया है।
शिक्षकों की तैनाती का बदलेगा पैमाना
लखनऊ (ब्यूरो)। परिषदीय स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति का पैमाना बदलने जा रहा है। शिक्षकों की उपस्थिति और उनकी पढ़ाई को मानक मानते हुए अब उन्हें तैनाती दी जाएगी। इसके लिए शासन स्तर पर मंथन चल रहा है। इसके लिए शिक्षकों का पांच साल का रिकॉर्ड रखा जाएगा। मसलन शिक्षकों की स्कूल में उपस्थिति कितनी है, वह बच्चों को कैसी शिक्षा दे रहे हैं। इसके आधार पर ही शिक्षकों को तैनाती दी जाएगी और छात्र क्षमता से अधिक लगे शिक्षकों को हटाकर दूसरे स्कूलों में तैनाती दी जाएगी।
सचिव बेसिक शिक्षा नीतीश्वर कुमार की अध्यक्षता में इस संबंध में बैठक हो चुकी है। विचार-विमर्श के दौरान यह सुझाव आया है कि तबादले से पहले शिक्षकों की कार्यप्रणाली और उनकी उपस्थिति का अध्ययन जरूर कर लिया जाए। अच्छे आचरण वाले और अच्छी पढ़ाने कराने वाले शिक्षकों को ही अच्छी तैनाती दी जाएगी। नई व्यवस्था नए शिक्षण सत्र यानी जुलाई से लागू हो सकती है। गौरतलब है कि बेसिक शिक्षा परिषद के अधीन मौजूदा समय 1,54,272 प्राइमरी व 76,782 उच्च प्राइमरी स्कूल हैं। प्राइमरी स्कूलों में 1,85,729 तथा उच्च प्राइमरी में 1,06,089 शिक्षक हैं। शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत प्राइमरी स्कूलों में 30 और उच्च प्राइमरी में 35 बच्चों पर एक शिक्षक रखने की व्यवस्था है।
•जितनी ज्यादा हाजिरी उतनी अच्छी तैनाती, शिक्षकों का तैयार होगा पांच साला का डाटा
शिक्षक भर्ती के लिए आवेदन की तिथि बढ़ी
लखनऊ।
प्रदेश के इंटर कॉलजों में शिक्षक भर्ती के लिए आवेदन की अंतिम तारीख बढ़ा दी गई
है। सहायता प्राप्त इंटर कॉलेजों में 6598 शिक्षकों की भर्ती के
लिए पहले 30 जनवरी
अंतिम तिथि थी। अभ्यर्थी अब 25 फरवरी तक आवेदन कर सकेंगे। यह निर्णय
माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड की बैठक में लिया गया है। संगीत गायन एवं वादन में
आवेदन करने वालों को संशोधन का भी मौका बोर्ड ने दिया है। अभ्यर्थियों को संशोधन
के लिए अलग से आवेदन नहीं करना है। वे एक सादे कागज पर प्रार्थना पत्र देकर संशोधन
करवा सकेंगे।
चयन
बोर्ड ने सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में टीजीटी और पीजीटी शिक्षकों के 6598 पदों पर भर्ती के लिए
विज्ञापन निकाला था। 30 जनवरी
आखिरी तारीख रखी गई थी। ग्रामीण क्षेत्रों से कई अभ्यर्थी अभी तक आवेदन नहीं कर
पाए हैं और अंतिम तिथि बढ़ाए जाने की मांग उठ रही थी। इसी को देखते हुए बोर्ड ने
अंतिम तिथि बढ़ाए जाने का निर्णय लिया है। साथ ही संगीत गायन और वादन दो अलग विषय
होते हैं। कुछ अभ्यर्थियों ने गायन और वादन का अलग से उल्लेख न करके केवल संगीत
विषय लिख दिया है। इसके लिए बोर्ड ने तय किया है कि ऐसे अभ्यर्थियों को अलग से
आवेदन नहीं करना होगा। वे अपना प्रत्यावेदन दे सकते हैं। वे एक सादे कागज पर बोर्ड
के नाम प्रार्थना पत्र दे सकते हैं। उसमें वे स्पष्ट करेंगे कि वे संगीत गायन में
परीक्षा देना चाहते हैं या फिर संगीत वादन में। इसी प्रत्यावेदन को स्वीकार कर
लिया जाएगा।
•टीजीटी-पीजीटी के 6598 पदों के लिए 25 फरवरी तक कर सकेंगे
आवेदन
•संगीत गायन और संगीत वादन के लिए अभ्यर्थियों को भी संशोधन का मौका
साभार • अमर
उजाला ब्यूरो
Sunday, January 26, 2014
प्रदेश के 1.70 लाख शिक्षा मित्रों के भविष्य का फैसला 28 जनवरी को होने की उम्मीद है।
रविवार, 26 जनवरी 2014 अमर उजाला, लखनऊ
रविवार, 26 जनवरी 2014 अमर उजाला, लखनऊ
बेसिक शिक्षा विभाग शिक्षा मित्रों
को शिक्षक बनाने संबंधी प्रस्ताव तैयार करते हुए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के पास
भेज दिया है।
उनकी सहमति मिलने के बाद इसे 28 जनवरी को कैबिनेट की बैठक में मंजूरी के लिए रखा जा सकता है।
कैबिनेट की बैठक में इसके अलावा मुख्यमंत्री की घोषणा के अनुरूप समाजवादी पेंशन योजना संबंधी प्रस्ताव भी रखा जा सकता है।
कैबिनेट की बैठक में इसके अलावा अन्य कई महत्वपूर्ण प्रस्ताव रखे जाने की संभावना है।
गौरतलब है कि पिछले दो हफ्ते से शिक्षामित्र अपने वेतन बढ़ाए जाने और समायोजन की मांग करते हुए राजधानी में लक्ष्मण मेला पार्क में धरना प्रदर्शन कर रहे हैं।
उनकी सहमति मिलने के बाद इसे 28 जनवरी को कैबिनेट की बैठक में मंजूरी के लिए रखा जा सकता है।
कैबिनेट की बैठक में इसके अलावा मुख्यमंत्री की घोषणा के अनुरूप समाजवादी पेंशन योजना संबंधी प्रस्ताव भी रखा जा सकता है।
कैबिनेट की बैठक में इसके अलावा अन्य कई महत्वपूर्ण प्रस्ताव रखे जाने की संभावना है।
गौरतलब है कि पिछले दो हफ्ते से शिक्षामित्र अपने वेतन बढ़ाए जाने और समायोजन की मांग करते हुए राजधानी में लक्ष्मण मेला पार्क में धरना प्रदर्शन कर रहे हैं।
शिक्षक
पात्रता परीक्षा (टीईटी) के लिए आवेदन की अंतिम तारिख 3 फरवरी
तक कर दी गई है।
रविवार, 26 जनवरी 2014 अमर उजाला, लखनऊ

टीईटी के लिए पूर्व में ऑनलाइन पंजीकरण 7 से 21 जनवरी तक करने का मौका दिया गया था। नेशनल इनफारमेटिक सेंटर (एनआईसी) को नियमत: ऑनलाइन पंजीकरण के लिए वेबसाइट 21 जनवरी की रात 12 बजे बंद कर देना चाहिए।
इससे समय समाप्त होने के बाद भी 22 जनवरी को वेबसाइट बंद होने तक 1257 ने ऑनलाइन पंजीकरण करा लिए। ऑनलाइन पंजीकरण के बाद ई-चालान बनवाकर आवेदन करने की व्यवस्था है।
समय अवधि समाप्त होने के बाद पंजीकरण कराने वालों को आवेदन में शामिल करने को लेकर पेंच फंस सकता था और अन्य लोग भी ऑनलाइन पंजीकरण के लिए मौका देने का दावा कर सकते थे। इसलिए ऑनलाइन पंजीकरण का एक मौका और दे दिया गया है।
Tuesday, January 21, 2014
उर्दू शिक्षकों की तैनाती में हीलाहवाली, अभ्यर्थी हो रहे परेशान
नियुक्ति पत्र वापस मांग रहा विभाग
मऊ।
उर्दू शिक्षकों की भर्ती के लिए काउंसिलिंग के बाद नियुक्ति पाए 23 मोअल्लिम-ए-उर्दू उपाधिधारकों को
शिक्षा विभाग ज्वाइनिंग देने में हीलाहवाली कर रहा है। इनमें से 20 अभ्यर्थियों से विभाग के अधिकारी और
बाबू ने नियुक्ति पत्र वापस भी ले लिया है। तीन अभ्यर्थियों ने नियुक्ति पत्र वापस
नहीं किया, तो उन्हें परिणाम भुगतने की धमकी दी जा
रही है।
11-08-1997 से पूर्व मोअल्लिम -ए-उर्दू की उपाधि
हासिल करने वालों को बीटीसी के समकक्ष मान लिया गया है। इन उपाधिधारकों को करीब 11 वर्ष तक लंबी कानूनी लड़ाई के बाद यह
हक हासिल हुआ है। उर्दू शिक्षकों की भर्ती के तहत काउंसिलिंग के बाद 15 जनवरी को 23 अभ्यर्थियों को बतौर उर्दू टीचर
नियुक्ति का पत्र मिला। इन्हें दस दिन के भीतर निश्चित प्राथमिक विद्यालयों में
ज्वाइन करना था। जब अभ्यर्थी अपना नियुक्ति पत्र लेकर बीएसए कार्यालय गए तो
अधिकारी और उर्दू बाबू उन्हें जाड़े की छुट्टी का बहाना बनाकर दौड़ाते रहे। इस बीच
कार्यालय के उर्दू बाबू तथा एबीएसए चंद्र भूषण ने अभ्यर्थियों से उनके नियुक्ति
पत्र यह कहकर ले लिए कि मुख्यमंत्री ने नियुक्ति रद कर दी है। कुछ दिन बाद संशोधित
आदेश आएगा, तब आप लोगों को तैनाती के लिए नियुक्ति
पत्र फिर जारी किया जाएगा। लेकिन तीन अभ्यर्थी मु. अजहर, मु. आजम तथा निजामुद्दीन अंसारी ने
अपने नियुक्ति पत्र कार्यालय को नहीं सौंपे। तीनों अभ्यर्थियों का कहना है कि
नियुक्ति पत्र वापस मांगने का वाजिब कारण बीएसए या एबीएसए कोई नहीं बता रहा। उर्दू
बाबू भी इस बारे में सही जानकारी नहीं देते। परेशान अभ्यर्थियों का कहना है कि जब
उन्होंने विभाग से जवाब मांगते हुए नियुक्ति पत्र वापस करने से मना कर दिया तो
उन्हें अधिकारी और बाबू परिणाम भुगतने की चेतावनी दे रहे हैं। अभ्यर्थियों का कहना
है कि यदि उनके नियुक्ति पत्र में कुछ गड़बड़ी है, तो इसेे स्पष्ट करना चाहिए।
23 मोअल्लिम को नियुक्ति का
पत्र मिला है
20 से वापस ले लिए गए हैं
नियुक्ति पत्र
तीन ने नियुक्ति पत्र वापस करने से किया मना, मिली चेतावनी
नियुक्ति पत्र वापस मांगने का कारण नहीं बता रहे अधिकारी
बीएसए ने कहा,
पूर्व के अधिकारी ने की है गड़बड़ी
बीएसए
राम बचन सिंह यादव ने कहा कि पूर्व के अधिकारी ने गड़बड़ किया है। इसलिए जांच के
लिए नियुक्ति पत्र वापस मांगा जा रहा है। एबीएसए चंद्र भूषण ने कहा कि इस बारे में
बीएसए ही कुछ बता सकते हैं जबकि उर्दू बाबू ने कहा कि अधिकारी के कहने पर वे ऐसा
कर रहे हैं। बीएसए, एबीएसए तथा उर्दू बाबू तीनों ही
नियुक्ति पत्र वापस मांगने के पीछे का कारण स्पष्ट नहीं कर पा रहे हैं।
•मुहम्मद आजम का नियुक्ति
पत्र।
साभार अमरउजाला
शैक्षिक गुणवत्ता को ‘सम्मान’ व ‘ प्रोत्साहन’ बनेगा सहारा
महेन्द्र
सिंह इलाहाबाद। परिषदीय विद्यालय में शैक्षिक गुणवत्ता को पटरी पर लाने को बेसिक
शिक्षा महकमा नया फंडा अपनाने जा रहा है। विद्यालय न जाने वाले और पढ़ाने में रुचि
न रखने वाले शिक्षकों पर कार्रवाई का चाबुक चलाने के बजाय ऐसे शिक्षकों को चिन्हित
करेगा जो पूरे अन्तर्मन से छात्रों के बीच ज्ञान का दीपक जला रहे हैं। उन्हें
सम्मानित किया जायेगा। इस कार्ययोजना में सब कुछ ठीक रहा तो नये शैक्षणिक सत्र 2014-15 से ही प्रभावी बना दिया जायेगा। लाख
कवायद के बावजूद परिषदीय विद्यालयों में शैक्षिक गुणवत्ता पटरी पर नहीं आ रही है।
औचक निरीक्षक सहित कार्रवाई के सारे हथकंडे नाकाम साबित हो रहे हैं। हालत सुधरते न
देख बेसिक शिक्षा परिषद नये तरीके से परिषदीय विद्यालयों में शैक्षिक गुणवत्ता को
पटरी पर लाने की कार्ययोजना बना रहा
है। इसके तहत अब परिषदीय विद्यालय में न पढ़ाने वाले शिक्षकों पर कार्रवाई का
चाबुक चलाने के बजाय ‘प्रोत्साहन’ का सहारा लिया जायेगा। इसके तहत
जिलावार ऐसे शिक्षकों को चिन्हित किया जायेगा जो पूरे लगन के साथ विद्यालय में
शैक्षणिक वातावरण को तैयार कर रहे हैं और उनकी इस लगन से छात्रों लाभान्वित हो रहे
हैं। चिन्हित करने के बाद ऐसे शिक्षकों को शासन स्तर पर सम्मानित किया जायेगा। यही
सम्मानित शिक्षक उन तमाम शिक्षकों के लिए प्रेरक बनने का काम करेंगे जो अपने मूल
पेशे के साथ नाइंसाफी कर रहे हैं। इसके पीछे बेसिक शिक्षा परिषद का तर्क है कि
कार्रवाई से सारी व्यवस्था को ठीक नहीं किया जा सकता है। प्रोत्साहन के सहारे बड़े
पैमाने पर शिक्षकों के इरादों को बदला जा सकता है। सचिव बेसिक शिक्षा परिषद संजय
सिन्हा कहते हैं कि इसको अंतिम रूप देने के लिए कार्ययोजना बनायी जा रही है। सब
कुछ ठीक रहा तो नये सत्र से यह प्रभावी हो जायेगी। वह कहते हैं कि यह योजना ज्यादा
कारगर साबित होगी। जो शिक्षक पठन-पाठन में रुचि नहीं ले रहे हैं वह भी बेहतरीन
प्रदर्शन कर रहे शिक्षकों से प्रेरणा लेकर अपने मूल कर्त्तव्य के प्रति जागरूक
होंगे। वह कहते हैं कि डंडा चलाना ही सारी समस्या का निदान नहीं हो सकता है। वह भी
शिक्षक जैसे सम्मानीय पेशे में। कार्ययोजना को अंजाम देने के लिए बेसिक शिक्षा
परिषद वरिष्ठ अधिकारियों के साथ- साथ प्रसिद्ध शिक्षाविदों की भी राय ले रहा है।
साभार राष्ट्रीय सहारा
शिक्षा का आधा-अधूरा अधिकार
निशुल्क
एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार (राइट टू एजुकेशन-आरटीई) तीन वर्ष पूर्व लागू किया
गया था। इस मकसद से कि छह से चौदह वर्ष तक की आयु के तमाम बच्चे शिक्षा का लाभ ले
सकें। लेकिन हाल में इसको लेकर चौंकाने वाले आंकड़े प्रकाश में आए हैं। इन्हें
आरटीई का क्रियान्वयन करने वाले केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने ही जारी
किया है। बताया गया है कि शिक्षा का अधिकार कानून लागू होने के तीन वर्ष बाद देश
में अब भी शिक्षकों के 11.87
लाख पद रिक्त हैं। इनमें आधे बिहार, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में हैं।
तीनों राज्यों का देश में शिक्षकों के कुल रिक्त पदों में 52.29 प्रतिशत हिस्सा है। हकीकत इससे ज्यादा
निराशाजनक हो सकती है। इसलिए कि आरटीई कानून में अशक्त बच्चों की परिभाषा अस्पष्ट
है। ऐसे में अशक्त बच्चों के संबंध में शिक्षकों की संख्या और उन्हें प्रशिक्षित
करने और बच्चों की जरूरतों के बारे में जागरूकता को लेकर भ्रमपूर्ण स्थिति से
इनकार नहीं किया जा सकता। दरअसल, लाभार्थियों
की संख्या और पात्रता संबंधी तस्वीर साफ न होने की सूरत में कोई भी योजना अपने
लक्ष्य से भटक सकती है। यही आरटीई के मामले में हो रहा है। इसे लागू किए तीन वर्ष
हो चुके हैं, लेकिन इसकी कमियां और खामियां बनी हुई
हैं। इतने महत्त्वाकांक्षी और देश के भविष्य का कायाकल्प कर देने वाले मंसूबे को
अब भी शिक्षकों की कमी, वंचित वर्ग के बच्चों के लिए निश्चित
संख्या में आरक्षण, अशक्त बच्चों को शिक्षा के अवसर मुहैया
कराने में नाकामी जैसी तमाम बातों से दो-चार होना पड़ रहा है। दरअसल, आरटीई को आधे-अधूरे ढंग से क्रियान्वित
किया जा रहा है। चूंकि केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर इस मंसूबे को मूर्त रूप देने
में जुटी हैं, अत: इसके लिए धन की कोई कमी नहीं है।
सवाल है कि लक्षित नतीजे नहीं मिल पाने के कारण क्या हैं। दरअसल, लक्षित लाभार्थियों को लेकर अस्पष्टता
से अपेक्षित कामयाबी नहीं मिल पा रही है। किसी योजना को अंजाम तक पहुंचाने में
आवश्यक ढांचा तैयार करने में जो होमवर्क होना चाहिए, उस लिहाज से भी लगता है कि कोई खास प्रयास नहीं किए गए। बस, मनभाते परिणाम की कल्पना की और काम
शुरू कर दिया गया। इस क्षेत्र में किस प्रकार की चुनौतियां दरपेश होंगी या किस
प्रकार की तल्ख हकीकतों से पाला पड़ सकता है, उन
पर गौर करने की नीति बनाने वालों ने लगता है, जरूरत
ही नहीं समझी। नतीजतन खासी संभावनाओं वाले कार्यक्रम के लक्षित नतीजे नहीं मिल रहे
हैं।
साभार राष्ट्रीय सहारा
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