== टीईटी
मेरिट बनाम अकैडमिक मेरिट की थी जंग ==
[ Nov 20, 2013, 10.26PM IST ]
प्रमुख संवाददाता
इलाहाबाद। उत्तर प्रदेश में ट्रेनी टीचरों की
भर्ती के लिए टीईटी मेरिट को मापदंड अपनाया जाए या एकेडेमिक कैरियर को ? सवाल
यही था, सियासी रंग चढ़ जाने के कारण उसको सुलझने में दो साल का वक्त लग गया।
प्रदेश की पूर्व बसपा सरकार ने शिक्षकों की भर्ती के लिए टीईटी का आयोजन किया।
टीईटी की मेरिट जारी होने के बाद छिटपुट नंबर बढ़ाने के आरोप लगे, लेकिन
कहीं से कोई पुष्टि नहीं हुई। मायावती सरकार की विदाई के साथ प्रदेश में अखिलेश
सरकार बनी। प्रदेश सरकार ने टीईटी मेरिट को रद्द करते हुए शिक्षकों की भर्ती के
लिए नए सिरे से विज्ञापन जारी कर दिया। अखिलेश का अंदाज कुछ वैसा ही था जैसा
मायावती ने मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालते ही मुलायम राज में हुए सिपाहियों की
भर्ती रद्द कर दी थी।
अखिलेश सरकार ने नया आदेश करते हुए भर्ती में
टेट को केवल आधार बना दिया और शैक्षिक गुणांक के आधार पर मेरिट तय करने का फैसला
लिया| जिस पर कुछ लोग अदालत चले गए और भर्ती लटक गई| प्रदेश
सरकार ने शिक्षक भर्ती के लिए नए सिरे से विज्ञापन जारी करने के साथ काउंसिलिंग की
प्रक्रिया की तारीख घोषित कर दी। टीईटी पास अभ्यर्थी इसको लेकर लखनऊ कई बार
मुख्यमंत्री से मिलने गये लेकिन लाठी ही खानी पड़ी। ऐसे में टीईटी अभ्यर्थी अपनी
आवाज उठाने के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
दो साल से फंसा था कानूनी पेंच
यूपी में ट्रेनी टीचरों की भर्ती का मामला लंबे
समय से कानूनी फेर में फंसा हुआ है। यूपी सरकार ने इसी साल प्राइमरी में 72825
शिक्षकों की भर्ती के लिए विज्ञापन निकाला था। इसके लिए 69 लाख
आवेदन भी आए थे। 4 फरवरी 2013 से
काउंसिलिंग शुरू हो गई थी, लेकिन नियमों में कुछ विवाद के चलते
हाई कोर्ट ने इस पूरी प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी। हाईकोर्ट में इसके बाद चयन के
लिए क्या मानक अपनाया जाए, यह मामला भी पहुंचा। हाईकोर्ट की ओर
टीईटी मेरिट पर ट्रेनी टीचरों की भर्ती का आदेश देने के साथ लंबे समय से संघर्ष कर
रहे छात्रों के लिए नौकरी की राह में पड़ा रोड़ा खत्म हो गया है।
== काउंसिलिंग में बैठ चुके अब जाएंगे
सुप्रीमकोर्ट ==
इलाहाबाद। प्राइमरी स्कूलों में जूनियर
शिक्षकों की भर्ती टीईटी मेरिट से हो या एकडेमिक मेरिट से? इस सवाल
को लेकर हाईकोर्ट ने बुधवार को मेरिट के आधार पर भर्ती का फैसला सुना दिया। हाईकोर्ट
के इस फैसले से जहां लाखों अभ्यर्थी जश्न मनाने में जुटे गये, वहीं
तमाम अभ्यर्थी अब सुप्रीमकोर्ट में जाने के बारे में सोचने लगे हैं। टीईटी की
भर्ती एकडेमिक मेरिट के आधार पर कराने की मांग को लेकर लंबे समय तक बेसिक शिक्षा
भवन के सामने धरने पर सैकड़ों अभ्यर्थी इस फैसले से निराश है। टीईटी भर्ती को
एकडेमिक मेरिट के आधार पर करने वाले दीपेंद्र सिंह को नहीं लगता है प्रदेश सरकार
हाईकोर्ट के फैसले को जस का तस स्वीकार करेगी। उनका कहना है टीईटी मेरिट की तुलना
में एकडेमिक मेरिट से भर्ती चाहने वाले अभ्यर्थियों की संख्या में ज्यादा है।
प्रदेश सरकार को हाईकोर्ट फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना चाहिए।
प्रदेश सरकार अगर टीईटी मेरिट के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट नहीं जाएगी तो जो अभ्यर्थी
हजारों रूपये खर्च करने के बाद काउंसिलिंग में बैठ चुके हैं, वह
जाएंगे। टीईटी एकडेमिक मेरिट संघर्ष मोर्चा के प्रवक्ता दीपेंद्र का कहना है
काउंसिलिंग में हिस्सा ले चुके छात्र अब सुप्रीम कोर्ट जाने के लिए जल्द ही बैठक
बुलाएंगे।
हाईकोर्ट के टीईटी पर आए फैसले के बाद कुछ
अभ्यर्थियों को अभी भी नहीं लग रहा है इतनी जल्दी प्रदेश सरकार शिक्षकों की भर्ती
के लिए मान जाएगी। अरविंद कुमार गुप्ता का कहना है टीईटी पर जो फैसला आया उसके बाद
मुझे तो लग रहा है अभी बवाल और बढ़ेगा। मायावती के समय जो विज्ञापन निकला था उसको
रद्द करके अखिलेश सरकार ने नया विज्ञापन जारी किया। एक-एक टीईटी पास अभ्यर्थी कई
जिलों से हजारों रूपये खर्च करके नौकरी के लिए फार्म भरे। तमाम अभ्यर्थियों ने तो
काउंसिलिंग में भी हिस्सा लिया। ऐसे में वह अभ्यर्थी चुप बैठेंगे क्या? टीईटी
पास अभ्यर्थियों की निगाह अब प्रदेश सरकार के फैसले पर टिकी है। प्रदेश सरकार
हाईकोर्ट फैसले के बाद सुप्रीम कोर्ट जाएगी या भर्ती प्रक्रिया प्रारंभ करेगी।