भर्ती से पहले पुलिस से लेने होंगे टीईटी के रिकार्ड
Last Updated:23-11-13 12:41 AM
इलाहाबाद
वरिष्ठ संवाददाता। स्कूलों में 72,825
प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती का रास्ता हाईकोर्ट से साफ होने के बाद अब
अभ्यर्थियों को सरकार के अगले कदम का इंतजार है। यदि सरकार नियुक्ति शुरू करती है
तो बेसिक शिक्षा परिषद को पहले रमाबाईनगर पुलिस से टीईटी के रिकार्ड लेने होंगे।
दरअसल 8 फरवरी 2012 को टीईटी में कथित फर्जीवाड़े के आरोप में तत्कालीन माध्यमिक शिक्षा
निदेशक संजय मोहन की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने टीईटी से जुड़े सारे दस्तावेज सीज
कर लिए थे।
जिस
कम्प्यूटर फर्म ने रिजल्ट बनाए थे पुलिस ने वहां के कम्प्यूटर से हार्डडिस्क तक
नोंच ली थी। अब सवाल यह है कि यदि भर्ती हो भी जाए तो 2011 में टीईटी पास अभ्यर्थियों के
मार्कशीट का सत्यापन कैसे होगा। बता दें कि जब पुलिस ने भर्ती से जुड़े दस्तावेज
सीज किए थे तब तक टीआर (टैबुलेशन रजिस्टर) तैयार नहीं हुआ था। टीआर ही किसी भी
रिजल्ट का मूल रिकार्ड होता है। इसी के आधार पर मार्कशीट का मिलान किया जाता है।
यह
टीआर अब न तो यूपी बोर्ड के पास मौजूद है और न ही बेसिक शिक्षा विभाग के पास।
रिकार्ड न होने के कारण ही यूपी बोर्ड टीईटी-2011 की मार्कशीट में संशोधन नहीं कर पा रहा है। शिक्षक भर्ती शुरू होने
पर यदि कोई अभ्यर्थी फर्जी मार्कशीट लगा दे तो बेसिक शिक्षा विभाग के पास कोई
रिकार्ड नहीं है जिससे इसका मिलान कर सके। ऐसे में अगर शिक्षकों की नियुक्ति कर भी
दी जाती है तो उनका वेतन मार्कशीट के सत्यापन के अभाव में अटका रहेगा।
बनी
थी टीईटी 2011 की फर्जी वेबसाइट टीईटी 2011 के मूल रिकार्ड इसलिए भी जरूरी हैं
क्योंकि दो साल पहले फर्जी वेबसाइट का मामला प्रकाश में आया था। कुछ अराजक तत्वों
ने टीईटी 2011 की वेबसाइट के हूबहू वेबसाइट तैयार कर
असफल अभ्यर्थियों से लाखों रुपए ऐंठ लिए थे। फर्जी वेबसाइट से पास की मार्कशीट
लेकर कुछ अभ्यर्थी यूपी बोर्ड पहुंचे तो खुलासा हुआ। मीडिया में बात उछलने के बाद
फर्जी वेबसाइट बंद हो गई। हालांकि इसे बनाने वालों का कोई सुराग नहीं लगा था।