- एप में तमाम कहानियां पढ़ते ही बच्चा बोलेगा, शाबाश ’बहुत
अच्छे’
- दस
मिनट की क्लास में खेल के माध्यम से शब्दों का भी होगा बोध
- कितनी देर पढ़ा, कितने अंक मिले, इसका भी
होगा तत्काल मूल्यांकन
प्राइमरी
के बच्चों को रोचक तरीके से पढ़ाने के लिए नए-नए प्रयोग हो रहे हैं। इसी कड़ी में ‘बोलो’ एप के माध्यम से खेल-खेल के माध्यम से बच्चों
को पढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है, ताकि पढ़ाई बोझ न लगे।
बच्चों को सरलता व सहजता से समझाने के लिए ‘बोलो’ एप लांच किया गया है। बच्चों में बोलकर पढ़ने की आदत विकसित करने में ये
एप काफी कारगर है। यही कारण है कि यह बच्चों में तेजी से लोकप्रिय हो रहा है।
आवाज पहचानने और टेक्स्ट-टू-स्पीच(आवाज सुनकर लिखने की सुविधा) की
तकनीक पर आधारित बोलो एप गूगल ने विकसित किया है। प्राथमिक स्कूलों के बच्चों को
हिंदी और अंग्रेजी सीखने में यह मदद करेगा। भारत में सबसे पहले लांच एप ऑफलाइन भी
काम करेगा। एप की एनिमेटेड पात्र दीया बच्चों को तेज आवाज में कहानियां पढ़ने को
प्रेरित करने के साथ उच्चारण में परेशानी पर मदद करती है। कहानी पूरी करने पर
बच्चों का मनोबल बढ़ाती है। एप में हिंदी व अंग्रेजी की करीब 100 कहानियां हैं।
पढ़ेंगे कहानी, मिलेगी शाबाशी
इस एप में ‘आम का पेड़’, ‘मेरा घर’,
‘मेरे दोस्त’, ‘लालची चूहा’, ‘स्कूल का पहला दिन’ नामक पाठ में तमाम कहानियां दी
गई हैं। कोई पाठ खोलते ही मोबाइल स्क्रीन पर कहानी सामने आ जाती है। साथ ही इसमें
लगा कैमरा बच्चे की फोटो भी ले लेगा। बच्चों को दस मिनट में कहानी पढ़नी है। बच्चे
जैसे-जैसे पढ़ते जाएंगे एप से शाबाश, बहुत अच्छे की ध्वनि
आएगी।
पढ़ाई व अंकों का हिसाब भी
बच्चे जैसे-जैसे पढ़ते जाएंगे उन्हें अंक मिलते जाएंगे। कहानी के
दूसरे चरण में शब्दों का बोध कराने के लिए खेल के माध्यम से कुछ शब्द बच्चों को
पढ़ने हैं। रोज बच्चे कितनी देर पढ़े और उन्हें कितने अंक मिले इसे भी देखा जा
सकता है। अध्यापकों का कहना है कि एप को लेकर ऐसे बच्चे उत्साहित हैं जो किताब
नहीं पढ़ना चाहते। वे अब एप से पढ़ रहे हैं।
एप के सहारे रूम टू रीड
ग्रीष्मावकाश में जिले के 580 स्कूलों में रूम-टू-रीड की मदद से चल रहे
लिट्रेसी (पठन व लेखन) कार्यक्रम में बच्चों को ‘बोलो’
एप से पढ़ना सिखाया जा रहा है।