Sunday, April 21, 2019

सोनभद्र के पूर्व बीएसए को सजा



  • सोनभद्र के पूर्व बीएसए को सजा
  • अवमानना में हाईकोर्ट ने सुनाई 15 दिन की कैद, दो हजार रूपए अर्थदंड भी  

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सोनभद्र के पूर्व बेसिक शिक्षा अधिकारी प्रभु राम चौहान को अवमानना में 15 दिन कैद और 2000 रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। सजा का आदेश न्यायमूर्ति जयंत बनर्जी ने दीप्तिमान बनर्जी की अवमानना याचिका पर अधिवक्ता अजिताभ चौबे को सुन कर दिया है।
याची का कहना था कि उसकी नियुक्ति सहायक अध्यापक के पद पर मृतक आश्रित कोटे में हुई थी। उनको ट्रेनिंग से छूट मिली थी। याची सहित 11 लोगों का नाम छूट पाने वालों की सूची में है। बाद में उनको प्रशिक्षित वेतनमान भी दिया जाने लगा, मगर प्रोन्नति सूची में उसका नाम शामिल नहीं किया गया। जबकि, उससे कनिष्ठ अध्यापकों को प्रोन्नति दे दी गई। बाद में भूल सुधर करते हुए विभाग ने याची को प्रमोशन दिया, मगर याची को उससे कनिष्ठों को दिए गए प्रोन्नति तिथि से प्रोन्नति नहीं दी गई। याची ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर प्रोन्नति आदेश को चुनौती दी। हाईकोर्ट ने याची को 19 मई 2008 से नोशनल प्रमोशन देने का आदेश तत्कालीन बेसिक शिक्षा अधिकारी को दिया। आदेश के अनुपालन में बीएसए प्रभु राम चौहान ने याची को प्रशिक्षित वेतनमान पाने की तिथि से नोशनल वरिष्ठता दे दी, जबकि उनको याची की नियुक्ति की तिथि से वरिष्ठता देनी थी। कोर्ट ने इसे जान बूझ कर की गई अवमानना करार देते हुए बीएसए के खिलाफ अवमानना के आरोप तय कर दिए। बीएसए प्रभु राम ने कोर्ट में लिखित स्पष्टीकरण देते हुए बिना शर्त माफी मांगी, जिसे अदालत ने स्वीकार नहीं किया। कोर्ट का कहना था कि याची का कार्य जानबूझकर न्यायालय की गरिमा को चोट पहुंचाने वाला रहा है, इसलिए वह सजा का हकदार है।