Thursday, April 26, 2018

सरकारी स्कूलों में बदलेगा पढ़ाई का पैटर्न, कक्षा 1-8 तक में लागू होगा "लर्निंग आउटकम"


उत्तर प्रदेश के सरकारी स्कूलों में अब बच्चों की पढ़ाई के साथ परिणाम भी परखा जाएगा। बेसिक शिक्षा विभाग के स्कूलों में पहली बार शिक्षकों को जहां सीखने-सिखाने की प्रक्रिया बताई जाएगी, वहीं बच्चों को मिली शिक्षा को शिक्षण संबंधी परिणाम (लर्निंग आउटकम) के रूप में परखा जाएगा। विभाग ने कक्षा 1 से 8 तक प्रत्येक कक्षा के लर्निंग आउटकम के मानक तैयार किए हैं।
सरकारी प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षक अभी तक पाठ्यक्रम पूरा कराने और परीक्षा के आयोजन पर ही ध्यान देते थे। पढ़ाई से बच्चे के मानसिक स्तर, सामान्य ज्ञान और शैक्षिक ज्ञान में क्या सुधार हुआ, इस पर ध्यान नहीं दिया जाता था। सरकार ने इस वर्ष पहल कर लर्निंग आउटकम के मापदंड तैयार किए हैं। किस कक्षा में शिक्षक बच्चे को किस तरह क्या-क्या पढ़ाएंगे और किस कक्षा में बच्चों को कितना ज्ञान होना चाहिए, यह निर्धारित किया गया है।

विभाग के उच्च अधिकारी स्कूलों के निरीक्षण के दौरान इन्हीं मापदंडों के आधार पर शिक्षकों की गुणवत्ता और बच्चों के ज्ञान का आकलन करेंगे। बेसिक शिक्षा निदेशक सर्वेंद्र विक्रम बहादुर सिंह के अनुसार, लर्निंग आउटकम से जहां शिक्षकों की जवाबदेही तय होगी, वहीं अभिभावक भी बच्चों की पढ़ाई को लेकर जागरूक बनेंगे।

ये रहेंगे मानक
कक्षा 1 : बच्चे वर्णमाला के अक्षरों को पहचान और लिख सकें। अपनी भाषा में कहानी या कविता सुना सकें। अपनी बात निसंकोच कहने के साथ ध्वनि व वर्णों में समन्वय स्थापित कर सकें। वर्ण एवं भाषाओं में शब्द बना सकें और सरल वाक्य पढ़ सकें।

कक्षा 2 : बच्चे सुनी हुई कविता, क हानी या घटना अपनी भाषा में सुना सकें। अपने विचार व्यक्त करने के साथ शब्द व छोटे-छोटे वाक्य लिख सकें। वाक्य लिखते समय विराम चिह्न का उपयोग कर सकें।
कक्षा 3 : कहानी-कविता को समझते हुए प्रश्न कर सकें। चित्रों व दृश्यों को देखकर उन पर वाक्य बनाकर लिख सकें। नवीन शब्दों का अर्थ जानकर उनका वाक्यों में प्रयोग कर सकें। मानवीय मूल्यों, आदर्शों, सद्वाक्यों और शिष्टाचार का उपयोग दैनिक व्यवहार में कर सकें।

कक्षा 4 : सरल वाक्य बनाने के साथ लेखन में व्याकरण संबंधी विशिष्टताओं का प्रयोग कर सकें। पिछली कक्षा की अपेक्षा अभिव्यक्ति और लेखन दोनों प्रभावी ढंग से स्पष्ट कर सकें। पाठ्य पुस्तकों के अलावा भी सामग्री का स्वाध्याय कर सकें।

कक्षा 5 : गद्य व पद्य की विधाओं को समझ सकें। अपने विचारों को समझा सकें। कवियों और लेखकों के जीवन व कृत्यों पर जानकारी प्राप्त कर सकें। बच्चों का शब्द कोश बढ़े, शब्द कोश का उपयोग कर संप्रेषण कौशल विकसित हो।

कक्षा 6 : बच्चे भाषाई कौशल में नवीन कौशल को जोड़ते हुए स्पष्ट रूप से अपनी बात कह सकें। पठित सामग्री को पढ़ और लिख सकें। दैनिक जीवन से जुड़े विषयों पर अपने विचार मौखिक और लिखित रूप से व्यक्त कर सकें।

कक्षा  7 : घटनाओं, सामाजिक मुद्दों पर विचार या अपनी सहमति या असहमति प्रकट कर सकें। लिखित या मौखिक अभिव्यक्ति, मुहावरों, लोकोक्तियों, व्याकरण का प्रयोग, कठिन शब्दों के अर्थ एवं प्रयोग करने की क्षमता हो।

कक्षा 8 : बच्चे अपने विचार, प्रतिक्रिया, तर्क, टिप्पणी और समीक्षा करने में सक्षम हों। नए शब्दों की खोज और उनका उपयोग कर सकें। अपनी कल्पना और रुचि के अनुरूप कविता, निबंध, कहानी के सूक्ष्म बिंदुओं को खोजकर तथ्यों की व्याख्या लिखित रूप में कर सकें और नव सृजन के लिए प्रेरित हों।