Sunday, January 3, 2016

बच्चन के नाम से पढ़ाई जा रही सोहनलाल द्विवेदी की कविता !

सूबे में सीबीएसई से जुड़े स्कूलों की सातवीं कक्षा में हिंदी की पुस्तक में जो कविता हरिवंश राय बच्चन के नाम से पढ़ाई जा रही है, वह वास्तव में सोहनलाल द्विवेदी की है। कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती...शीर्षक कविता काफी चर्चित रही है लेकिन इसके कवि को लेकर काफी लोगों को भ्रम है। 

यही कारण है कि इंटरनेट पर भी इसके बारे में भ्रामक सूचनाएं हैं। सीबीएसई के विद्यालयों के लिए पाठ्यपुस्तकों का प्रकाशन करने वाले कृति प्रकाशन लिमिटेड ने हिंदी की  पाठ्यपुस्तक मेधा (भाग-सात) के पृष्ठ 93 पर पाठ 15 के अंतर्गत इसके कवि के रूप में हरिवंश राय बच्चन का नाम प्रकाशित किया है।

जब इस प्रकाशन के लखनऊ के इंदिरानगर स्थित कार्यालय से संपर्क किया गया तो संपादक प्रभाशंकर गुप्त ने माना कि इस कविता को इंटरनेट से लिया गया था। प्रकाशन अधिकारियों को जब इंटरनेट पर कविता कोशमें सोहनलाल द्विवेदी के नाम से इस कविता के प्रकाशित होने के बारे में बताया गया तो उन्होंने अन्य स्रोतों से जांच कराकर इसे सही कराने की बात कही।

अमिताभ बच्चन ने दिया था स्पष्टीकरण

इस पूरे विवाद से यह सवाल भी उठा है कि पाठ्यपुस्तकों में जिस कविता को हजारों बच्चे कवि के नाम के साथ याद करते हैं, उनके चयन का स्रोत क्या होता है? क्या इनके प्रकाशक साहित्यकारों की रचनावलियों से रचनाओं का मिलान करते हैं या वे केवल इंटरनेट से ही काम चला लेते हैं? 

पिछले कुछ समय से इस कविता को लेकर फैले भ्रम का कारण यह भी है कि कुछेक स्थानों पर अमिताभ बच्चन ने इस कविता को उद्धृत किया था। 

सोशल मीडिया पर उठे विवाद के बाद अमिताभ ने अपने फेसबुक और ट्विटर अकाउंट पर लिखा था, ‘ये कविता बाबूजी की नहीं है, इसके रचयिता सोहनलाल द्विवेदी हैं...कृपया इस कविता को बाबूजी, डॉ. हरिवंश राय बच्चन के नाम पर न दें...ये उन्होंने नहीं लिखी है

परामर्शदाता बोले, बगैर सहमति डाल दिया नाम

पाठ्यपुस्तक में काशी हिंदू विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के प्रोफेसर एवं पूर्व अध्यक्ष कुमार पंकज का नाम परामर्शदाता के तौर पर प्रकाशित किया गया है। 

हालांकि अमर उजालाने जब कुमार पंकज से संपर्क किया तो उन्होंने बताया कि मेरा इस प्रकाशन से कोई संबंध नहीं है और न ही मेरा नाम छापने के लिए मुझसे सहमति ली गई है। 

प्रसिद्ध कव‌ि नरेश सक्सेना का कहना है, ये बहुत गंभीर है कि पाठ्यपुस्तकों में गलत नाम से कविताएं छप रही हैं। पाठ्यपुस्तकों में पूरी छानबीन के बाद रचनाएं शामिल की जानी चाहिए।