Tuesday, December 24, 2013

कॉपी-पेंसिल के लिए फायरिंग रेंज में धंसी गोलियां निकाल रहे बच्चे
रायफल की गोलियां बन रहीं शिक्षा का ‘हथियार’
अतुल अवस्थी/कासिम मेंहदी
 
 
बहराइच/चित्तौरा। गोलियों की तड़तड़ाहट थमी तो बच्चों की धमाचौकड़ी से चांदमारी गूंज रही है। ये बच्चे यहां खेलते नहीं बल्कि अपने जीवन से खिलवाड़ करते हैं। फायरिंग रेंज में पुलिसकर्मियों का अभ्यास खत्म होने के ये मासूम सारा दिन चांदमारी में गोलियों की तलाश में जुटे हैं। गरीबी की मार झेल रहे बच्चे गोलियां बेचकर अपने पढ़ने का बंदोबस्त करते हैं। लेकिन, वे अंजान हैं इसमें छिपे बारूद और अन्य घातक रसायनों से, जो कभी भी उन पर भारी पड़ सकता है। आश्चर्य की बात ये है कि प्रतिबंधित जोन होने के बाद भी ये सब खुलेआम हो रहा है।
पुलिस लाइंस बहराइच, जिले के पूर्वी उत्तरी छोर पर स्थित है। यहां लो डिस्टेंस रेंज कारबाइन, पिस्टल और रिवॉल्वर फायरिंग अभ्यास के काम में आता है। फायरिंग रेंज आबादी से दूर होना चाहिए लेकिन इसी के पास नईबस्ती, फुटहा व हठीला गांव बसा है। इसके अलावा रेंज में आम आदमी का आवागमन प्रतिबंधित है लेकिन यहां के टारगेट टीले पर बच्चे दिखते हैं। बेखौफ मासूम निशाना साधने वाले पुलिस अधिकारियाें और सिपाहियों के पिस्टल से निकली गोली तलाशते हैं। रेंज में इस बार पांच दिन में लगभग चार हजार राउंड गोलियां दागी गईं। शनिवार को ही अभ्यास का समापन हुआ। इसके बाद रविवार और सोमवार से यहां बच्चों का जमावड़ा हो रहा है। आसपास के गांवों के बच्चे रविवार से टारगेट टीले में धंसी गोलियां तलाशते दिख रहे हैं। ऐसे में हादसा हो जाए तो जिम्मेदार कौन होगा? इसका जवाब अधिकारियों के पास नहीं।
पुलिस अधीक्षक मोहित गुप्ता ने कहा कि फायरिंग जोन पूरी तरह प्रतिबंधित होता है। उन्होंने कहा कि रेंज में सख्ती से आवाजाही पर रोक लगाई जाएगी।
प्रतिबंधित क्षेत्र होने के बाद भी मासूमों की धमाचौकड़ी
बारूद और अन्य रसायनों से जोखिम में पड़ सकती जान