शिक्षा महकमे में बेसिक व माध्यमिक का बंटवारा पिछले वर्ष ही हो चुका है।
शासन में शिक्षा विभाग के 13 अनुभागों का कार्य
विभाजन भी किया गया, उसके बाद भी अफसर
तबादला सीजन में एक-दूसरे विभाग में छलांग लगाने को बेताब हैं। विभाग बदलने का
ख्वाब पाले अफसरों की इस बार मनमर्जी नहीं चल सकेगी। शासन ने इस पर सख्त रुख
अपनाते हुए बाकायदे आदेश जारी कर दिया है।
प्रदेश सरकार ने लोकसभा चुनाव के बाद नीति जारी करके 30 जून तक
तबादले करने का आदेश दिया है। इसी के साथ शिक्षा महकमे के अफसर मनचाही तैनाती पाने
के लिए सक्रिय हो गए हैं। जून 2018
में योगी
सरकार ने कामकाज तेजी से करने के लिए माध्यमिक व बेसिक शिक्षा का बंटवारा किया था, क्योंकि
पहले वही अफसर बीएसए और फिर डीआइओएस जैसे मलाईदार पदों पर काबिज होने में सफल हो
जाते थे। इस निर्णय के बाद शासन में अनुभाग तक बांटे गए और माध्यमिक के कई अफसरों
को बेसिक के निवर्तन पर भेजा गया। बेसिक शिक्षा विभाग ने समूह ‘क’ व ‘ख’ के अफसरों
को स्पष्ट किया है कि वे बिना विभाग की अनुमति लिए अन्यत्र स्थानांतरण के लिए
आवेदन न करें।
बेसिक शिक्षा सचिव मनीषा त्रिघाटिया ने अफसरों को भेजे पत्र में लिखा है कि
बिना अनापत्ति प्राप्त किए अफसर दूसरी जगह तैनाती पाने के लिए आवेदन कर देते हैं
यह स्थिति अत्यंत खेदजनक है। उन्होंने यह भी लिखा है कि बिना अनापत्ति लिए कोई
अफसर आवेदन नहीं करेगा,
इसका कड़ाई
से अनुपालन किया जाए।
तमाम अफसर नियुक्ति पाने की लाइन में : विभाग का बंटवारा होने के बाद
अफसरों को बेसिक शिक्षा के निवर्तन पर भेजने का आदेश देकर उन्हें विभिन्न
कार्यालयों से संबद्ध कर दिया गया। शिक्षा निदेशक बेसिक के शिविर कार्यालय से
संबद्ध अफसरों की फेहरिश्त काफी लंबी है। वे बिना तैनाती के महीनों से वेतन ले रहे
हैं।