अभिभावक नहीं माने, स्कूल नहीं पहुंच
रहे बच्चे
Tue, 17 Dec 2013
असोथर, अंप्र : एमडीएम की गुणवत्ता सही न पाए जाने पर प्रधानाध्यापक को निलंबित कर दिया गया था। सजा बच्चे भुगत रहे हैं। प्रधानाध्यापक से खुश कार्यवाही से नाराज अभिभावक बीते तीन दिनों से बच्चों को नहीं भेज रहे हैं। प्रशासनिक कार्यवाही और अभिभावकों की जिद का खामियाजा नौनिहाल भुगत रह हैं।
प्राथमिक विद्यालय सरांय खालिस का प्रांगण बीते तीन दिनों से बच्चों के कलरव से विहीन है। अभिभावकों की मनाही के चलते एक भी बच्चा स्कूल में पैर नहीं रख रहा है। अभिभावकों की मांग है कि प्रधानाध्यापक की कार्यशैली तारीफ के काबिल है। मौजूदा समय में जब परिषदीय विद्यालयों में पढ़ाई का माहौल नहीं है तब इस विद्यालय में गुरुकुल जैसी शिक्षा दी जा रही है। गुरु-शिष्य की परंपरा का निर्वहन ही नहीं हो रहा है बल्कि पढ़ाई को उत्तरोत्तर प्रगति की ओर ले जाया जा रहा है। जिलाधिकारी ने 5 दिसंबर को निरीक्षण किया। जिसमें रोटी कच्ची पाए जाने पर प्रधानाध्यापक को निलंबित कर दिया। वास्तव में वह सजा के हकदार नहीं थे। ऐसे शिक्षक के चले जाने से पढ़ाई का माहौल चौपट हो जाएगा। यह हरगिज नहीं होने देंगे। प्रशासन चाहे तो विद्यालय बंद कर दे। लेकिन वह बच्चे नहीं भेजेंगे। विरोध के तीसरे दिन तैनाती पाए शिक्षक एवं शिक्षामित्र डटे रहे। बच्चों की एक भी संख्या नहीं दिखी। बीते दिन खंड शिक्षाधिकारी ने मौका मुआयना किया। लेकिन दिनभर उसका असर नहीं दिखा। अभिभावकों ने एक भी बच्चा नहीं भेजा।
खंड शिक्षाधिकारी पुष्पराज पटेल ने कहाकि वस्तुस्थिति से उच्चाधिकारियों को अवगत करा दिया गया है। अभिभावकों से वार्ता की जा रही है। जल्द ही समस्या सुलझा ली जाएगी।
Tue, 17 Dec 2013
असोथर, अंप्र : एमडीएम की गुणवत्ता सही न पाए जाने पर प्रधानाध्यापक को निलंबित कर दिया गया था। सजा बच्चे भुगत रहे हैं। प्रधानाध्यापक से खुश कार्यवाही से नाराज अभिभावक बीते तीन दिनों से बच्चों को नहीं भेज रहे हैं। प्रशासनिक कार्यवाही और अभिभावकों की जिद का खामियाजा नौनिहाल भुगत रह हैं।
प्राथमिक विद्यालय सरांय खालिस का प्रांगण बीते तीन दिनों से बच्चों के कलरव से विहीन है। अभिभावकों की मनाही के चलते एक भी बच्चा स्कूल में पैर नहीं रख रहा है। अभिभावकों की मांग है कि प्रधानाध्यापक की कार्यशैली तारीफ के काबिल है। मौजूदा समय में जब परिषदीय विद्यालयों में पढ़ाई का माहौल नहीं है तब इस विद्यालय में गुरुकुल जैसी शिक्षा दी जा रही है। गुरु-शिष्य की परंपरा का निर्वहन ही नहीं हो रहा है बल्कि पढ़ाई को उत्तरोत्तर प्रगति की ओर ले जाया जा रहा है। जिलाधिकारी ने 5 दिसंबर को निरीक्षण किया। जिसमें रोटी कच्ची पाए जाने पर प्रधानाध्यापक को निलंबित कर दिया। वास्तव में वह सजा के हकदार नहीं थे। ऐसे शिक्षक के चले जाने से पढ़ाई का माहौल चौपट हो जाएगा। यह हरगिज नहीं होने देंगे। प्रशासन चाहे तो विद्यालय बंद कर दे। लेकिन वह बच्चे नहीं भेजेंगे। विरोध के तीसरे दिन तैनाती पाए शिक्षक एवं शिक्षामित्र डटे रहे। बच्चों की एक भी संख्या नहीं दिखी। बीते दिन खंड शिक्षाधिकारी ने मौका मुआयना किया। लेकिन दिनभर उसका असर नहीं दिखा। अभिभावकों ने एक भी बच्चा नहीं भेजा।
खंड शिक्षाधिकारी पुष्पराज पटेल ने कहाकि वस्तुस्थिति से उच्चाधिकारियों को अवगत करा दिया गया है। अभिभावकों से वार्ता की जा रही है। जल्द ही समस्या सुलझा ली जाएगी।