Wednesday, December 4, 2013


बीवी ने मांगी तालीम तो मिला तलाक

ब्यूरो बुधवार, 4 दिसंबर 2013

अमर उजाला, हल्दौर (बिजनौर)Updated @ 1:53 AM IST

 



तालीम पसंद बीवी की पढ़ने की ख्वाहिश मजदूर पेशा पति को इतनी नागवार गुजरी कि उसने न केवल उसे डराया-धमकाया, बल्कि तलाक देकर उस पर मुश्किलों का पहाड़ ही तोड़ दिया।

मामला बिरादरी की पंचायत तक पहुंचा, जिसने संजीदगी दिखाते हुए शौहर के इस कदम को गलत करार दिया और उसकी बीवी की पढ़ने की मंशा की पुरजोर वकालत भी की।

साथ ही उसे ससुराल में ही रहने का फैसला सुनाकर बड़ी राहत भी दी है। फिलहाल मामला पंचायत के रास्ते गांव से निकलकर दारुल उलूम तक जा पहुंचा है। देवबंद के मुफ्तियों से इस बारे में राय मांगी गई है।

हल्दौर थाना क्षेत्र के सोतखेड़ी निवासी आफताब की शादी करीब एक साल पहले चांदपुर के गांव महदूद नवादा में हुई थी। खेतीबाड़ी करने वाले आफताब की बीवी पढ़ना चाहती है। उसने अपनी यह ख्वाहिश शौहर को बताई तो वह भड़क गया।

नतीजा ये कि आए दिन दोनों में इसे लेकर कलह रहने लगी। ग्रामीणों के मुताबिक बीवी ने पति को भरसक समझाने की कोशिश की मगर वह नहीं माना और एक दिन बात इतनी बढ़ी कि गुस्से में आगबबूला आफताब ने बीवी को तलाक ही देदिया। बीवी ने मायके जाकर आपबीती सुनाई। ससुरालियों की मनुहार से भी आफताब जब नहीं पसीजा तो, उन्होंने गांव जमीरुददीन हताई में बिरादरी की पंचायत बुलाई।

करीब दो सप्ताह से चल रहे इस प्रकरण की जानकारी तीन दिन पूर्व उस समय फैली, जब पड़ोस के गांव जमीरुद्दीन हताई में यब पंचायत हुई। पंचायत ने आफताब के इस कदम को गलत करार देते हुए शरीयत के मुताबिक महिला को ससुराल में ही रखने की हिदायत दी।

महिला ग्राम प्रधान शाहजहां और उनके पति जरीनुद्दीन ने पंचायत होने की पुष्टि की। उन्होंने बताया कि मामला दूसरेगांव का होने की वजह से वह पंचायत में नहीं गए । एसओ धर्मपाल सिंह ने घटना से अनभिज्ञता जताई है।

आफताब और उसके घरवालों का कहना है कि शौहर-बीवी के बीच घरेलू विवाद के चलते बात बढ़ गई थी, अलबत्ता विवाद का कारण पूछने पर उन्होंने चुप्पी साध ली।

शादी के बाद पढ़ सकती हैं महिला

हल्दौर। सिसौना मस्जिद के इमाम मौलाना सरफराज सिद्दकी का इस बारे में कहना है कि शादी के बाद भी इस्लाम महिला को पढ़ने की इजाजत देता है। महिला पढ़ने के लिए पति या घर के जिम्मेदार व्यक्ति के साथ बापर्दा स्कूल जा सकती है। शिक्षाविद् एम इस्लाम के अनुसार यदि कोई महिला पति का कहना नहीं मानती है तो पति बीवी को पहले तलाक की चेतावनी देता है। एक माह बाद सुधार नहीं होने पर दूसरा तलाक दिया जाता है। यदि फिर भी सुधार नहीं होता है तो तीसरा तलाक दिया जाता है। इसके बाद पति-पत्नी के बीच तलाक हो जाता है।

 अनपढ़ बीवी को पढ़ाई करने पर तलाक देना गलत अमल

देवबंद। दारुल उलूम वक्फ के वरिष्ठ उस्ताद मौलाना मुफ्ती आरिफ कासमी का कहना है कि पढ़ाई करने को लेकर अनपढ़ बीवी को तलाक दे देना, शौहर का गलत अमल है। लेकिन शरीयत के मुताबिक तलाक हो गया।

मुफ्ती आरिफ कासमी का कहना है कि अगर औरत पर्दे की पाबंदी के साथ तालीम हासिल करना चाहती है तो कर सकती है और यह उसका हक भी है। सिर्फ इस बात पर बीवी को तलाक दे देना क्योंकि वह पढ़ना चाहती है बहुत ही गलत तरीका है।

उन्होंने कहा कि यदि औरत के पढ़ाई करने से घर की जिम्मेदारियां मुताआस्सिर (बाधित) नहीं हो रहीं हैं तो उसे इसकी इजाजत दे देनी चाहिए। जिद्द पर अड़ना नहीं चाहिए। उन्होंने कहा कि शौहर ने चाहे जिस हालत में भी बीवी को तलाक दिया हो तलाक हो जाएगा।