अनुदानित
कॉलेजों के मानदेय शिक्षकों का वेतन बढ़ा
Updated on: Wed,
04 Dec 2013 11:20 AM (IST)
जागरण
ब्यूरो, लखनऊ। प्रदेश के अनुदानित डिग्री व
स्नातकोत्तर कॉलेजों में पढ़ा रहे मानदेय शिक्षकों का वेतन सरकार ने बढ़ा दिया है।
इन शिक्षकों को मासिक वेतन के रूप में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की ओर से
प्रवक्ता के लिए निर्धारित छठे वेतनमान के न्यूनतम (15600 + 6000 = 21600 रुपये) के साथ उस पर स्वीकृत महंगाई
भत्ते का भुगतान किया जाएगा। इस हिसाब से मानदेय शिक्षकों को हर महीने लगभग 41 हजार रुपये वेतन मिलेगा। सरकार के इस
फैसले का फायदा अनुदानित कॉलेजों में तैनात लगभग 900 शिक्षकों को मिलेगा।
मुख्यमंत्री
अखिलेश यादव द्वारा प्रस्ताव को मंजूरी देने के बाद उच्च शिक्षा विभाग ने इस बारे
में शासनादेश जारी कर दिया है। सरकार के इस फैसले से मानदेय शिक्षकों की मासिक
पगार में तकरीबन दस हजार रुपये से लेकर 29
हजार रुपये तक का इजाफा होगा। नियमित अध्यापकों की कमी के चलते अनुदानित कॉलेजों
में मानदेय पर शिक्षक तैनात हैं। इनमें से 31
दिसंबर 2006 तक तैनात हुए कई शिक्षक ऐसे हैं जो 12000 रुपये वेतन के साथ उस पर महंगाई भत्ता
पा रहे थे। वहीं पहली जनवरी 2007 या
उसके बाद तैनात हुए ज्यादातर शिक्षक को फिक्स वेतन के तौर पर 12000 रुपये दिया जा रहा था।
इन्हीं
में से लगभग डेढ़ सौ शिक्षकों ने हाई कोर्ट में दस्तक देकर तर्क दिया कि कॉलेज
प्रबंधन ने भले ही उनकी नियुक्ति 31
दिसंबर 2006 के बाद की लेकिन निदेशक उच्च शिक्षा
ने उनके चयन का अनुमोदन इस तारीख से पहले कर दिया था। इस पर कोर्ट ने उन्हें 12000 रुपये वेतन के साथ महंगाई भत्ता जोड़
कर देने का आदेश दिया। इनके अलावा 12
शिक्षक ऐसे हैं जो कोर्ट के आदेश से 8000 से
13500 का वेतनमान और उस पर महंगाई भत्ता पा
रहे हैं।
मानदेय
शिक्षकों ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाकर मांग की थी कि राजकीय महाविद्यालयों में
तैनात संविदा शिक्षकों की तरह उन्हें भी यूजीसी के छठे वेतनमान का मूल वेतन और उस
पर महंगाई भत्ता दिया जाए। इस पर कोर्ट ने सरकार को आदेश दिया था कि वह मानदेय
शिक्षकों की विभिन्न श्रेणियों को अलग-अलग पगार देने की बजाय उन्हें यूजीसी के छठे
वेतनमान के मूल वेतन के साथ महंगाई भत्ता दिया जाए।